*एक अच्छा इंसान*
एक लड़की का नाम शिवांगी था। उसको बचपन से ही डॉक्टर बनना था। डॉक्टर बनने के लिए विज्ञान विषय लेकर आगे की पढ़ाई करनी पड़ती है। उससे ज्यादा पता ही नहीं था लेकिन बस डॉक्टर बनना था।
डॉक्टर बनने के लिए अच्छे गुण आवश्यक है तथा नीट की परीक्षा देनी होती है। एक दिन उसका बारहवी का परिणाम आया लेकिन जितने अंक डॉक्टर बनने के लिए चाहिए उतने नहीं आए। उसने हार नहीं मानी और बारहवी की परीक्षा फिर से देने का सोचा। कुछ दिन बाद फिर से परीक्षा देने के लिए फॉर्म भरने की तारीख आई और वो आखिरी तारीख थी। यह बात उसको पहले पता नहीं थी। उस समय वो बहुत बीमार थी लेकिन उसके लिए फॉर्म भरना बीमारी से ज्यादा महत्व था। वह कैसे भी फॉर्म भरने जाती है लेकिन एक डॉक्यूमेंट ना होने की वजह से वापस घर जा कर लेना पड़ता हैं। जब वह घर जा रही थी तब वह डॉक्यूमेंट भर रही थी वो मैडम ने बोला था की आराम से आना क्योंकि उसको भी पता है इसकी तबीयत ठीक नहीं है।
लेकिन शिवांगी जल्दी काम खत्म करके जाना चाहती थी। ( वैसे भी जब भी कुछ महत्व काम होता है तो हमे उसको करने की जल्दी रहती ही है।) वह कैसे भी थकते हुए, हाफते हुए घर गई और डॉक्यूमेंट लेकर फिर कॉलेज गई। जब वह डॉक्यूमेंट लेकर वापस कॉलेज आई तो वह मैडम आचार्य श्री के ऑफिस में बैठकर कुछ काम कर रहे थे। शिवांगी बहुत समय से वह मैडम के आने का इंतजार कर रही थी। वह बार बार ऑफिस के बाहर चक्कर काट रही थी। घर से उसको कई बार फोन आ रहे थे की कब फॉर्म भरके आओगी? क्योंकि वह बीमार थी और उसने कुछ खाया पिया भी नहीं था। उसकी दवाई भी लेना बाकी था।
१ या २ घंटे बाद वह मैडम ऑफिस से बाहर निकलती है और शिवांगी मैडम के पीछे पीछे उसके केबिन तक जाती है। वह मैडम उसको फॉर्म देती है और बोलती है यह फॉर्म बाहर जाकर भरो। कुछ मिनिट बाद वह फॉर्म भरके केबिन में देने जाती हैं, तब वह मैडम अपनी सहेली के साथ खाना खा रही थी और गप्पे मार रही थी। मैडम वापस शिवांगी को बाहर खड़े रहने बोलती है। बिचारी फिर से बाहर खड़ी होकर इंतजार कर रही थी। पहले ही काफी घंटे इंतजार करा था। अब वह पूरी थककर बेहाल हो गई थी। अब उससे बरदाश नहीं हो रहा था तो वह अंदर जाकर बोली मैडम मेहरबानी करके मेरा फॉर्म ले लीजिए। वह मैडम फॉर्म ना लेते हुए बोलती है बाहर जाकर इंतजार करिए, मैं आपको खुद बुआऊंगी। तब शिवांगी के आंसू नहीं रुकते और वो रोने लगी थी। सब दूसरे फॉर्म भरने आए थे वो उसको देख रहे थे इसलिए वह सीडी के पास जाकर बैठकर रोती है।
वे इसलिए तो रो रही थी की वो बहुत थक गई थी लेकिन उससे ज्यादा उससे इस बात का दुख हो रहा था की वह मैडम को पता है की वह बीमार है, जो मैडम ने हमेशा से अच्छा व्यवहार किया था, वो मैडम आज ऐसे बर्ताव कर रही है। जब कि मैडम को सिर्फ २ सेकंड में फॉर्म ही लेना था। शिवांगी बहुत रोते जा रही थी और सब आने जाने वाले देख देखकर जा रहे थे लेकिन किसीने एक बार भी पूछना जरूरी नही समझा। किसी को किसी के आंसू से कोई फर्क नहीं पड़ता है। थोड़ी देर बाद वहां से एक अंकल जा रहे थे तब उन्होंने पूछा की बेटा क्या हुआ? तब वह इतना बैठकर रो रही थी की कुछ बोल ही नहीं पाई लेकिन वह अंकल एक अच्छे इंसान थे।
उन्होंने तुरंत ऑफस में जाकर बोला कि एक लड़की बहुत रो रही हैं। उसका जो भी काम है वो जल्दी से कर दीजिए। मैडम लड़की को बुलाकर फॉर्म ले लेती है। इतना कुछ होने के बाद भी शिवांगी माफी मांगकर, धन्यवाद बोलकर जाती हैं। वह घर जाते समय रिक्शा में भी रो रही थी। घर जाकर परिवार को सब बता रही थी, तब भी उसकी आंखों में से आंसू जाते ही जा रहे थे। रोते रोते बोल रही थी कि यह दुनिया में कितनी बुराई है! किसी को किसी के दुःख देखकर कोई फर्क नहीं पड़ता है। इन सब में उसको एक बात की खुशी थी की अगर १०० लोग बुरे हो, उनको फर्क नहीं पड़ता तो कही ना कही *एक अच्छा इंसान* होता ही है। वह सामने तो नहीं लेकिन मन में अंकल को बहुत दिल से आशीर्वाद दिए।
सीख := हमारे आसपास कितनी भी बुराई या मतलबी लोग क्यों ना हो लेकिन एक अच्छाई या एक अच्छा इंसान जरूर होता है। अगर कुछ समय में अच्छाई ना दिखे तो हार नहीं माने और खुद अच्छे रहने की कोशिश करे ताकि जो हमारे उपर बीती है वो किसी ओर के उपर ना बीते। अच्छाई ही किसी भी इंसान की सच्ची शक्ति और भगवान की भक्ति हैं।
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